हर व्यक्ति के लिए सही इनरवेयर का चयन करना जरूरी है। स्त्रियों के लिए तो यह जानना बहुत जरूरी है कि वे जो लॉन्जरी पहन रही हैं, वह सुविधाजनक और सपोर्ट देने वाली है या नहीं। बेहतर है कि आम धारणाओं और मिथकों से उबरें और अपने लिए सही विकल्प का चुनाव करें।
इनरवेयर को लेकर कई धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ धारणाएं सही होती हैं, मगर कई बार इन्हें लेकर भ्रांतियां भी होती हैं।
हाल ही में जापान के एक लॉन्जरी ब्रैंड को अंडरवायर ब्रा का पूरा स्टॉक मार्केट से वापस लेना पडा, क्योंकि उसे पहनने से एक स्त्री की त्वचा को नुकसान हुआ। कंपनी को इसके लिए आलोचना झेलनी पडी और उसे कस्टमर्स से माफी मांगते हुए अपील करनी पडी कि वे इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल बंद कर दें। यह घटना एक अपवाद हो सकती है, लेकिन एक कस्टमर का नुकसान भी कंपनी की साख्ा पर भारी पड सकता है। इसलिए लॉन्जरी कंपनी ने अपने प्रोडक्ट का रिव्यू करना ठीक समझा।
शोध बताते हैं कि आज भी स्त्रियां अपने लिए सही अंडरगार्मेंट्स का चयन नहीं कर पातीं। ऐसे में कई मिथक और धारणाएं भी बन जाती हैं। जानें क्या हैं ये धारणाएं और इनमें कितनी सच्चाई है।
इनरवेयर को लेकर कई धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ धारणाएं सही होती हैं, मगर कई बार इन्हें लेकर भ्रांतियां भी होती हैं।
हाल ही में जापान के एक लॉन्जरी ब्रैंड को अंडरवायर ब्रा का पूरा स्टॉक मार्केट से वापस लेना पडा, क्योंकि उसे पहनने से एक स्त्री की त्वचा को नुकसान हुआ। कंपनी को इसके लिए आलोचना झेलनी पडी और उसे कस्टमर्स से माफी मांगते हुए अपील करनी पडी कि वे इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल बंद कर दें। यह घटना एक अपवाद हो सकती है, लेकिन एक कस्टमर का नुकसान भी कंपनी की साख्ा पर भारी पड सकता है। इसलिए लॉन्जरी कंपनी ने अपने प्रोडक्ट का रिव्यू करना ठीक समझा।
शोध बताते हैं कि आज भी स्त्रियां अपने लिए सही अंडरगार्मेंट्स का चयन नहीं कर पातीं। ऐसे में कई मिथक और धारणाएं भी बन जाती हैं। जानें क्या हैं ये धारणाएं और इनमें कितनी सच्चाई है।
धारणा 1
अंडरवायर ब्रा से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है
ज्यादातर एक्सपट्र्स और डॉक्टर्स इस धारणा को निराधार मानते हैं। हालांकि कुछ ऐसे अध्ययन हुए हैं, जो बताते हैं कि अगर कोई स्त्री लंबे समय तक टाइट ब्रा पहनती है तो उसकी सेहत को नुकसान हो सकता है, क्योंकि ब्रेस्ट टिश्यू नाजुक होते हैं। अमेरिका में ब्रेस्ट कैंसर से पीडित स्त्रियों पर कराए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि उनमें से ज्यादातर स्त्रियों ने गलत साइज की ब्रा दिन में 12 घंटे से अधिक देर तक पहनी थी। हालांकि उनकी बीमारी में केवल यही एक कारण नहीं था, अन्य कारण भी थे। इसमें संदेह नहीं कि अंडरवायर ब्रा से शरीर को सही शेप और सपोर्ट मिलता है। जापान में हुए एक सर्वे में यह भी देखने को मिला कि टाइट अंडरगार्मेंट से ब्रेस्ट के सॉफ्ट टिश्यूज पर दबाव पडता है। कुछ अध्ययन यह भी कहते हैं कि लंबे समय तक ब्रा पहनने से स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडता है। वेल्स यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में कहा गया कि प्री-मेनोपॉज के दौर में जिन स्त्रियों ने ब्रा का इस्तेमाल कम किया, उन्हें शरीर में दर्द, जैसे गर्दन या पीठ दर्द की शिकायतें कम रहीं।
धारणा 2
ब्रेस्ट टिश्यूज को होता है नुकसान
कई लोगों का मानना है कि ब्रा पहनने से ब्रेस्ट टिश्यूज को क्षति पहुंचती है। लेकिन ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है, जो बताता हो कि ब्रेजियर्स से ब्रेस्ट टिश्यूज को नुकसान हो सकता है। सच यह है कि ब्रेस्ट में कूपर्स लिगमेंट्स होते हैं, जो सपोर्ट और शेप देने का काम करते हैं। यदि ये किसी कारण टूट-फूट जाएं तो इनकी मरम्मत नहीं हो सकती। एक तरह से ब्रा इन लिगमेंट्स को बचाने का काम करती है। लेकिन यदि गलत साइज वाली या अधिक टाइट ब्रा पहनी जाए तो इससे पीठ पर दबाव बढता है और सिर दर्द हो सकता है। सही फिटिंग की ब्रा पहनने से यह समस्या नहीं होती। ख्ाासतौर पर हेवी बस्ट वाली स्त्रियों के लिए यह जरूरी है कि उन्हें सही सपोर्ट मिले। एक अध्ययन के अनुसार गलत साइज की ब्रा पहनने से न सिर्फ स्त्रियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, बल्कि उन्हें चलने-फिरने और व्यायाम करने में भी परेशानी होती है।
धारणा 3
हेवी बस्ट यानी डीडी कप
आम धारणा है कि ब्रा के कप साइज 'ए से 'डी तक होते हैं। मगर यह जानना दिलचस्प है कि मार्केट में इससे अधिक कप साइज भी उपलब्ध हैं। लडकियां अकसर 'डी कप को लेकर शर्म महसूस करती हैं। उन्हें लगता है कि अधिक वजन वाली स्त्रियों का ही कप साइज डी हो सकता है। जबकि कई बार स्लिम स्त्रियों का कप साइज भी डी होता है। कई इंटरनेशनल लॉन्जरी ब्रैंड्स में कप साइज 'के तक भी उपलब्ध है। नई रिसर्च कहती हैं कि 'डी ही अब 'सी साइज हो चुका है। डी कप साइज होने का मतलब ओवरवेट होना बिलकुल नहीं है। शर्म छोड कर सही कप साइज पहनें ताकि शरीर को सही सपोर्ट मिले।
धारणा 4
उम्र से साइज पर फर्क नहीं पडता
यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे, मगर आज भी कई स्त्रियां यही मानती हैं कि 30 की उम्र में जो साइज उन्हें ठीक होता है, वही 40 की उम्र में या इसके बाद भी होगा। यह बात पूरी तरह गलत है। सच यह है कि उम्र के साथ शरीर का ढांचा बदलता है, हड्डियों या मांसपेशियों का वजन बढता है, फैट बढता है, जिसका असर ब्रेस्ट साइज पर भी पडता है। एक रिसर्च के अनुसार अपनी समूची जिंदगी में स्त्रियां लगभग छह साइज पहनती हैं। उम्र, प्रेग्नेंसी, वजन बढऩे-घटने या हॉर्मोनल बदलावों के दौर में बस्ट साइज पर भी फर्क पडता है। इसलिए हर वर्ष अपना साइज चेक करना और नया लॉन्जरी कलेक्शन ख्ारीदना जरूरी है।
धारणा 5
अंडरवायर ब्रा यानी पूरा सपोर्ट
अंडरवायर ब्रा को लेकर स्त्रियां बहुत भ्रमित रहती हैं। कुछ को लगता है कि इसे पहनना असुविधाजनक है और इससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। मगर एक धारणा यह भी है कि अंडरवायर ब्रा से ब्रेस्ट्स को पूरा सपोर्ट मिलता है। सच्चाई यह है कि सही फिटिंग हो तो सॉफ्ट कप वाली ब्रा से भी शरीर को सही सपोर्ट मिल सकता है। लॉन्जरी ख्ारीदते हुए अपनी माप सही ढंग से लें। अंडरगार्र्मेंट्स न बहुत ढीले हों और न बहुत कसे हुए, तभी वे शरीर को सही सपोर्ट देंगे।
धारणा 6
ब्रा साइज यूनिवर्सल होते हैं
यह धारणा बिलकुल गलत है। साइज ब्रैंड्स पर निर्भर करता है। अलग-अलग ब्रैंड के कप या फ्रेम साइज अलग हो सकते हैं। ठीक उसी तरह, जिस तरह अलग-अलग ब्रैंड्स के शट्र्स, ट्राउजर्स या शूज के साइज अलग होते हैं। इसके लिए प्रोडक्ट पर लगा साइज चार्ट अवश्य देखें। यूके, यूएस और भारत के साइज चाट्र्स भी अलग होते हैं। इंटरनेशनल ब्रैंड्स ले रहे हों तो बेहतर यही है कि इसका ट्रायल लें।
धारणा 7
स्ट्रेप्स से मिलता है सही सपोर्ट
यह धारणा काफी हद तक सही है, मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि केवल स्ट्रेप्स से ही सपोर्ट नहीं मिलता। अंडरबस्ट सपोर्ट स्ट्रेप्स से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। हां यह बात सही है कि स्ट्रेप्स ब्रा को सही ढंग से एडजस्ट करते हैं। इनसे ही कप की फिटिंग को ठीक किया जा सकता है, लेकिन स्ट्रेपलेस ब्रा भी कंफर्टेबल और सही सपोर्ट देने वाली हो सकती है। उसकी डिजाइनिंग इस तरह की जाती है कि वह शरीर को सपोर्ट करे। हर स्त्री को अपनी माप, पसंद और सुविधा के हिसाब से सही ब्रा का चयन करना चाहिए।
धारणा 8
महंगा और अच्छा ब्रैंड टिकाऊ होता है
महंगी और अच्छे ब्रैंड की लॉन्जरी ख्ारीदने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि वह सालों-साल ख्ाराब नहीं होगी और उसे लंबे समय तक पहना जा सकेगा। कितना भी अच्छा ब्रैंड हो, कुछ समय के बाद उसके स्ट्रेप्स और इलास्टिक ख्ाराब होने लगते हैं। अंडरगार्मेंट्स रोज धोए जाते हैं, लिहाजा ये अन्य कपडों की तुलना में जल्दी ख्ाराब होते हैं। कोई भी अंडरगार्मेंट छह महीने से ज्यादा समय तक नहीं चल पाता और इतने समय बाद इसे बदल देना चाहिए।
धारणा 9
कंफर्टेबल है तो सही है
यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है। ज्यादातर स्त्रियों को अंडरवायर ब्रा कंफर्टेबल नहीं लगती, जबकि सबका मानना है कि यह सही सपोर्ट देती हैं। कुछ स्त्रियां ढीले वस्त्र पहन कर आराम महसूस करती हैं और उन्हें लगता है अंडरगार्मेंट्स भी थोडे ढीले हों तो सही रहेंगे। जबकि सही फिटिंग के अंडरगार्मेंट्स ही सही सपोर्ट देते हैं। ब्रा तभी कंफर्टेबल हो सकती है, जब वह सही सपोर्ट दे और मसल्स पर कम दबाव पडे।
धारणा 10
सूती फैब्रिक बेस्ट है
यह धारणा काफी हद तक सही है। अंडरगार्मेंट्स का फैब्रिक काफी हद तक जलवायु पर निर्भर करता है। हालांकि अब कॉटन के अलावा भी कई विकल्प हैं जो आरामदायक, फैशनेबल और ख्ाूबसूरत हैं। अपनी त्वचा और पसंद के हिसाब से मनमाफिक फैब्रिक का चयन कर सकते हैं।
http://sevenarticle.com/article_detail.php?article_id=3315979e
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