ग्रीस संकट और गहराया तो भी भारत को इसके कुछ फायदे हो सकते हैं। खास तौर पर जिस तरह से ग्रीस संकट की वजह से कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में गिरावट चल रही है वह देश में पेट्रोलियम उत्पादों को और सस्ता कर सकती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक क्रूड के दाम पिछले तीन हफ्तों में पहली बार 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आए हैं। इससे देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद बंधी है। इससे महंगाई की दर में और कमी हो सकती है।
अगर ऐसा होता है तो रिजर्व बैंक के लिए आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती करना और आसान हो सकता है। कोटक महिंद्रा एमएफ के एमडी निलेश शाह का कहना है कि स्थायी जमा स्कीमों पर भी ग्रीस में उत्पन्न स्थिति का असर पड़ना तय है। हालांकि, अंतिम तौर पर विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत को लेकर क्या फैसला करते हैं, स्थायी जमा स्कीमों पर उससे सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। अगर वे भारत से पैसा निकालने का निर्णय लेते हैं तो रिजर्व बैंक स्थिति को संभालने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है। इससे बांड बाजार की स्थिति मजबूत होगी।
सोमवार को जब ग्रीस संकट के गहराने की बात सामने आई थी, तब शेयर बाजार में तो गिरावट देखी गई थी, मगर बांड बाजार में तेजी का रुख था। मंगलवार को भी बैंकों ने तेजी की उम्मीद में बांड बाजार में खूब खरीदारी की है। पांच वर्ष की मैच्योरिटी वाले बांड से लेकर 15 वर्षों की परिपक्वता अवधि वाले तमाम बांडों पर दरें बढ़ी हैं। दरअसल, स्थायी जमा योजना के वित्तीय उत्पाद अपने कुल फंड का एक अहम हिस्सा बांड बाजार में निवेश करते हैं। बांड पर रिटर्न बढ़ने से इन स्कीमों को भी फायदा होगा।
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