पार्टनर के करीब ऐसे आएं.
ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनकी वजह से आपके पार्टनर और आपके बीच ईमानदारी और खुलापन नहीं बन पाता। अगर इनकी पहचान कर ली जाए और फिर इस दिशा में काम किया जाया तो करीबी आसानी से बढ़ सकती है।
संवाद की कमी को दूर करें
संवाद की कमी यानी लैक ऑफ कम्यूनिकेशन बहुत बड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है। अगर आप ठीक से अपनी बात नहीं समझाएं या अपनी जरूरतों को सही से उसे बता पाने में लापरवाही बरतें तो इससे आपके पार्टनर को गलतफहमी हो सकती है। बातचीत होते रहनी चाहिए और अपनी हर तरह की शिकायत या मन की दूसरी बातें सही से शेयर करनी चाहिए। इससे पार्टनर के साथ करीबी बनी रहती है।
संवाद की कमी यानी लैक ऑफ कम्यूनिकेशन बहुत बड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है। अगर आप ठीक से अपनी बात नहीं समझाएं या अपनी जरूरतों को सही से उसे बता पाने में लापरवाही बरतें तो इससे आपके पार्टनर को गलतफहमी हो सकती है। बातचीत होते रहनी चाहिए और अपनी हर तरह की शिकायत या मन की दूसरी बातें सही से शेयर करनी चाहिए। इससे पार्टनर के साथ करीबी बनी रहती है।
टाइम तो लगता है
संबंधों में घनिष्ठता बनते बनते बनती है। टाइम लगता है। पार्टनर को ठीक से अपनी भावनाएं जताने के लिए जो घनिष्ठता चाहिए, उसके लिए एक दूसरे को टाइम देना पड़ता है। तभी ऐसा माहौल तैयार होता है कि दो लोगों के बीच हर बात का आदान प्रदान होने लगता है। अच्छे वक्त का मतलब उन सबसे है जो आप दोनों साथ रहते हुए एक दूसरे के लिए करते हैं। प्यार को वक्त से ही जोड़कर देखा जाता है। जो सामने वाले को अपने करीब आने का मौका और टाइम नहीं देता, वह कैसे उसके साथ मजबूत रिश्ते की कल्पना कर सकता है।
शर्मिलापन छोड़ें
शमिलापन कुछ मामलों में दिक्कत पैदा कर सकता है। पर ऐसा बिलकुल नहीं है कि इसे आप संभाल न पाएं। इसे सुधारा जा सकता है। अगर आपका पार्टनर आपसे ठीक से बात नहीं कर रहा है, या आपकी बात समझ नहीं रहा है तो इसके चलते आपको संबंधों में मजबूती लाने में परेशानी हो सकती है। शर्मिलापन ऐसी समस्या है जो जाते जाते जाती है। इसमें भी टाइम लगता है। एकदम से किसी के व्यवहार में बदलाव ककी उम्मीद करना बेमानी है। यह मुश्किल काम है इसलिए इस पर लगातार कोशिश करते रहें। एक दूसरे से बात करने के अलावा काउंसलर या किसी अन्य सलाहकार की मदद ली जा सकती है।
पार्टनर की फीलिंग्स को समझें
अपनी भावनाओं और अनुभवों को आपसे बेहतर कौन जानता होगा। लेकिन आपको इन्हें समझना भी होगा। आप अपनी भावनाओं या अनुभवों पर ही ध्यान नहीं देते हैं तो कैसे उम्मीद करेंगे कि अपने पार्टनर की फीलिंग्स को आप आराम से समझ पाएंगे। यानी खुद की फीलिंग्स पर भी नजर रखिए और फिर इसी आधार पर दूसरे की फीलिंग्स को समझकर उनका सम्मान कीजिए। देखिए कैसे आप एक दूसरे के करीब आ जाएंगे।
चालबाजी से बचें
हम अक्सर दूसरों के साथ माइंड गेम खेलते हैं ताकि वह यह न समझ पाए कि हमारे भीतर आखिर चल क्या रहा है। अपनी असलियत को छुपाने के लिए हम इस तरह के प्रपंच करते रहते हैं। जैसे कि पत्नी समझती हो कि अगर मैं किसी ओर के साथ फलर्ट करूंगी तो मेरा पति मुझपर ज्यादा ध्यान देगा। असल में आपके पास पार्टनर से खुलने के, उसके साथ इन्वॉल्व होने के और करीबियां पैदा करने के कई मौके होते हैं।
आपसी विश्वास
इससे आपके पार्टनर के साथ नजदीकियां बढ़ती हैं। आपसी यकीन से ही आपका पार्टनर समझ पाता है कि कभी आपने अगर दिल भी दुखाया है तो अनजाने में दुखाया होगा। यकीन का तो मतलब ही यह है कि जब कोई आपसे बताए कि उसने आपके लिए यह गलत किया तो आप यकीन से कहें कि मैं अपने पार्टनर को जानता या जानती हूं, वह ऐसा नहीं कर सकता। इससे संबंध मजबूत होते हैं।
करीबी बढ़ेगी
एक दूसरे की परवाह करते हुए प्रेम और स्नेह का प्रदर्शन करना जरूरी है। ऐसा चाहे तो आप स्पर्श करके या फिर प्यारे प्यारे शब्दों के जरिए कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि जो आपका पार्टनर सोचता है वह आप भी सोच रहे हों या आप भी उसे पसंद करते हों, लेकिन ऐसा भी तो नहीं होना चाहिए कि इसे लेकर आप उससे लड़ने ही लग जाएं। स्वीकार्यता का मतलब है अपनी असहमति को भी एक कायदे के साथ सामने वाले तक पहुंचाना ताकि उसे तकलीफ न हो। पहले अपने पार्टनर के अच्छे गुणों को देखिए, उसके साथ प्यार में पड़िए, फिर आपको छोटी छोटी बातों को भी स्वीकार करने में आसानी होने लगेगी।
http://sevenarticle.com/article_detail.php?article_id=331b9d9d
No comments:
Post a Comment