Tuesday, 30 June 2015

Kyu Hai Lalit Modi Dawood Se Bhi Bada India's Most Wanted?

दाउद इब्राहिम जैसा भी है, हमारे कानून से डरता तो है. वह छुपकर रहता है. ट्विटर पर ऐसे बयान जारी नहीं करता, जिससे पता चले कि देश की कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी लोग उसकी जेब में हैं.
ललित मोदी पब्ल‍िक रिलेशंस का काम करने वाली कंपनियों के आदर्श हो सकते हैं. वे उन कारोबारियों के भी आदर्श हो सकते हैं, जो हर कीमत पर फायदा कमाना चाहते हैं. वे उन दलालों के भी आदर्श हो सकते हैं, जो हर स्तर पर अपनी ताकतवर पैठ बनाना चाहते हैं. वे उन अपराधियों के भी आदर्श हो सकते हैं, जिन्हें डर सताता हो कि यदि पकड़े गए तो निपटेंगे कैसे. वे उन फ्रस्ट्रेट लोगों के लिए भी आदर्श हो सकते हैं, जो अपनी मामूली व्यस्तता को कोसते हुए कहते देखे जाते हैं कि टाइम ही नहीं है कहीं घूमने फिरने या पार्टी करने का.

दाउद में क्या रखा है. एक अपराध किया और फिर बिना कोर्ट-कचहरी के खुद को जीवनभर के लिए अज्ञातवास में डाल दिया. न अपराध करने की मैच्योरिटी और न बच निकलने का ढंग.
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ललित मोदी ऑल-इन-वन हैं. वे एक ही समय में कांग्रेस के शशि थरूर और बीजेपी की वसुंधराराजे सिंधिया को मुंबई की पांच सितारा होटल में ठहराते हैं. शाहखर्ची करते हैं. और डेढ़ करोड़ का बिल बीसीसीआई के मत्थे मढ़ देते हैं. ऐसे जादू दिखाने के बदले उन्हें विदेशों से गैर-कानूनी ढंग से पैसा मंगाने का रास्ता मिल जाता है. मोदी को पता है कि वह कहां-कौन सी चाबी लगाएंगे और उससे कौन सा ताला खुलेगा. मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी भी उनकी पहुंच में थे. वे अमित शाह को भी करीब से जानते हैं.
दाउद की जान-पहचान मुंबई तक ही सीमित थी. कुछ पुलिस वाले, कोस्ट गार्ड वाले या ज्यादा से ज्यादा महाराष्ट्र के कुछ पॉलिटिशियन. जो सिर्फ इस बात की गारंटी दिलाते थे कि उसका स्मग्लिंग का धंधा बेरोकटोक चलता रहेगा.
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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया लंदन में ललित मोदी और उनके परिवार से मिले. जो तस्वीरें सामने आई हैं, उससे साफ लगता है कि वे एक शानदार मेहमान नवाजी का आनंद ले रहे हैं. ताजा शिगूफा ललित मोदी ने ही छोड़ा है. कि वे रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी से भी मिल चुके हैं. क्यों? ये स्पष्ट नहीं है. ललित मोदी सबको जानते हैं. सिर्फ तीन लोगों को छोड़कर. एक मनमोहन सिंह (क्योंकि, वे इमानदार हैं), दूसरी सोनिया गांधी (क्योंकि, वे अपने पंचों के सिवाय किसी से मिलती नहीं) और तीसरे राहुल गांधी (जिनसे मिलना दुर्लभ ही होता है). पुलिस से लेकर नेता ही नहीं, हॉलीवुड और बॉलीवुड तक उनका दबदबा रहा है.
दाउद को भी महफिल लगाने का शौक था. उसकी पार्टियों में भारत के नेता, अभिनेता और हां अभिनेत्रियां शामिल होते थे. लेकिन ललित मोदी यहां भी उससे आगे है.

ललित मोदी पर फेमा से जुड़े गंभीर आरोप हैं. और उन्होंने इन अपराधों के लिए कथित तौर पर नेताओं का इस्तेमाल किया. अब सवाल उठता है कि नेताओं ने सिर्फ आईपीएल मैच का मुफ्त टिकट पाने के लिए तो ये मदद की नहीं होगी. बदले में उन्हें भी कुछ मोटा फायदा मिला ही होगा. क्या? ये तो ललित मोदी ही बता सकते हैं. खुद तो आएंगे नहीं बताने. लाना पड़ेगा. बात अब ललित मोदी के अपराधों की नहीं, देश की सत्ता चलाने वालों की ईमानदारी जांचने की है. बीजेपी कह रही है कि ललित मोदी ने यूपीए सरकार के समय अपराध किए. यदि इस तर्क को ही मान लिया जाए तो बीजेपी के लिए ज्यादा आसान है और जरूरी है कि वे ललित मोदी को देश वापस लाए और सच उगलवाए.

दाउद को पकड़कर क्या होगा. यही न कि उसने 1993 के ब्लास्ट करवाए थे. और हफ्ता न देने वाले के कुछ नामचीन लोगों की हत्याएं. हम एक ऐसे इकबालिया बयान को हासिल करने के लिए पाकिस्तान को घेरते रहते हैं और नफरत करते हैं, जिसे बच्चा-बच्चा जानता है. 
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दाउद का अपराध डॉक्यूमेंटेड नहीं है. ललित मोदी का है. सील-सिक्के के साथ. ललित मोदी जैसे अब तक आरोपी हैं, वैसे ही दाउद भी. तय करना होगा. बम धमाका करके तीन सौ लोगों की जान लेना बड़ा अपराध है. या सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों का बिक जाना और उनको खरीद लेना बड़ा अपराध है.
अब आप ही बताइए, कौन है मोस्ट वांटेड?


http://sevenarticle.com/article_detail.php?article_id=331a9c9a

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